शारदीय नवरात्र के पहले दिन घट स्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इसी दिन से मां का आगमन होता है और देवी पक्ष की शुरुआत होती है।
मान्यता है कि मां शैलपुत्री की पूजा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। आइए जानते हैं नवरात्र के पहले दिन देवी मां के शैलपुत्री रूप की पूजा कैसे करनी चाहिए।
प्रात: जल्दी उठकर स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
इसके बाद मंदिर को अच्छे से साफ करें।
पूजा के पहले अखंड ज्योति प्रज्वलित कर लें और शुभ मुहूर्त में घट स्थापना कर लें।
अब पूर्व की ओर मुख कर चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और माता का चित्र स्थापित करें।
सबसे पहले गणपति का आह्वान करें और इसके बाद हाथों में लाल रंग का पुष्प लेकर मां शैलपुत्री का आह्वान करें।
मां की पूजा के लिए लाल रंग के फूलों का उपयोग करना चाहिए।
मां को अक्षत, सिंदूर, धूप, गंध, पुष्प चढ़ाएं. माता के मंत्रों का जप करें।
घी से दीपक जलाएं, मां की आरती करें, शंखनाद करें, घंटी बजाएं और मां को प्रसाद अर्पित करें।
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नवरात्र के प्रथम दिन माता शैलपुत्री की पूजा करते समय इन बीज मंत्रों का जाप अवश्य करें ...
या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
शिवरूपा वृष वहिनी हिमकन्या शुभंगिनी पद्म त्रिशूल हस्त धारिणी रत्नयुक्त कल्याणकारिणी
ओम् ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:
बीज मंत्र- ह्रीं शिवायै नम:
वन्दे वांच्छित लाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम् वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्
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शैलपुत्री मां बैल असवार। करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।
पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।
सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।
घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।
जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।